खबर हर पल की

December 23, 2024 2:23 pm

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पोर्टल पर वन विभाग के हल्का इंचार्जों के कारनामों की शिकायत कर खोली पोल

डिबाई (साजिद कुरैशी) तहसील क्षेत्र के वन विभाग के हल्का इंचार्ज आशू व सतेन्द्र पर सूखे हुए आम के 4 पेड़ों को काटने की एवज में 10 हजार रूपए की रसीद काट दी गई और 18 हजार रुपए ले लिये जिसकी शिकायत हिमांशु कुमार पुत्र विमल कुमार ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर की वीडियो में हिमांशु ने बताया है कि वन विभाग के दरोगा आशू व सतेन्द्र ने शिकायत से अपना नाम हटवाने का दबाव बनाया,जब से नरौरा रेन्ज में हल्का इंचार्ज आशू व सतेन्द्र आये हैं यह दोनों लकड़ी ठेकेदारों से सांठगांठ करके एक पेड़ के 3 हजार रुपए की रसीद काट कर दें देते हैं और ठेकेदारों से मोटी रकम वसूल कर रहे हैं और यदि पेड़ काटने की जानकारी नहीं होती तो ठेकेदार से पेड़ों के हिसाब से पैसा लेकर मामला दबा दिया जाता है जिससे सरकारी राजस्व में जमा होने वाली रकम का नुक़सान होता है।दोगवा में ठेकेदार से आम के 5 हरे पेड़ों को काट दिया जब इसकी सूचना वन विभाग हल्का इंचार्ज आशू को दी गई तो आशू चौधरी ने फोन पर बताया कि 15 हजार रुपए की रसीद काट दी और ठेकेदार की तरफदारी करते हुए कहा गया कि पेड़ ही तो काटे गए हैं इसमें सजा का प्रावधान नहीं है इससे साफ जाहिर होता है कि हल्का इंचार्ज ठेकेदार से पहले सांठगांठ कर लेते हैं फिर यदि कोई शिकायत हो तो रसीद काट कर खानापूर्ति कर देते हैं और ठेकेदारों से मोटी रकम वसूल करते हैं ऐसे क्षेत्र में अनगिनत मामले सामने आये हैं जिनमें हल्का इंचार्ज ठेकेदार से सांठगांठ करके पेड़ों को कटवाने के बाद 3 हजार रुपए के हिसाब से रसीद काट देते हैं और ठेकेदारों से मोटी रकम वसूल करते हैं यदि वन विभाग के हल्का इंचार्ज की ठेकेदार से सांठगांठ नहीं होती तो ठेकेदार की हिम्मत नहीं है कि एक पेड़ काट लें। ताज़ा मामला है बैलोन टोल के नजदीक आम व बेलपत्थर के करीब 9 पेड़ो को काट दिया गया जिसकी लकड़ी बैलोन की आरा मशीन पर डालीं गयी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। ऐसे ही कादरी बाग में पेट्रोल पंप के पास से 20 पेड़ों को काटा गया था जिसकी शिकायत जिले को भेजीं गयी मगर 15 पेड़ों को दर्शाकर 45 हजार की रसीद काट कर 60 हजार रूपए लिए गयें। राजघाट में सड़क किनारे सरकारी लिफ्ट्स के पेड़ को काटा गया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। इन दोनों की शिकायत कई बार वन विभाग डीएफओ से की गयी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई इससे साफ हो जाता है कि जब जिले में बैठे अधिकारी इनके खिलाफ कार्यवाही नहीं करते हैं तो कौन करेगा।

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