राजस्थान और उत्तर प्रदेश की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी डिजिटल मीडिया नीति घोषित करने की मांग
मुंबई –
महाराष्ट्र में सभी सामाजिक तत्वों के विकास के लिए कई महत्वाकांक्षी फैसले लेते हुए रिक्शा चालकों और टैक्सी चालकों से लेकर लाडली कन्या , लाडली बहेन तक की ऐतिहासिक नीति अपनाने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनकी सरकार को अब राज्य में पत्रकार भी पसंद नहीं हैं…? संपादक, मीडिया विशेषज्ञ और राजनीतिक विश्लेषकों के साथ-साथ डिजिटल मीडिया संपादक राजा माने महाराष्ट्र पत्रकार संघ के संस्थापक अध्यक्ष हैं। मानेजी ने पत्रकारों की विभिन्न लंबित मांगों और डिजिटल मीडिया को लेकर नीति घोषित करने की मांग को सामने रखते हुए उपरोक्त सवाल उठाया.
राजा मानेजी का महागठबंधन सरकार से सवाल
संगठन की ओर से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस और अजितदादा पवारजी को भेजे गए बयान में प्रमुख मांग की गई है कि महाराष्ट्र सरकार तुरंत डिजिटल मीडिया नीति की घोषणा करे और डिजिटल पत्रकारों को उसी की तर्ज पर न्याय दे. राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित डिजिटल मीडिया नीति। डिजिटल मीडिया को अनुशासित करते हुए पत्रकारिता के मानदंड तय कर पंजीयन प्रक्रिया की जाए, राज्य के पत्रकार मान्यता नियमों में बदलाव किया जाए, ग्यारह हजार रुपए वेतन को बढ़ाकर बीस हजार रुपए करने का विधानमंडल में निर्णय लिया गया वरिष्ठ पत्रकारों के लिए चल रही प्रति माह पेंशन योजना को तत्काल लागू किया जाए। राजा माने ने वरिष्ठ पत्रकार सम्मान योजना के तहत विभिन्न दमनकारी परिस्थितियों के कारण लंबित आवेदनों को तत्काल मंजूरी देने की मांग की है. पिछले साल जून में राजस्थान सरकार ने राज्य में न्यूज पोर्टल, यूट्यूब चैनल समेत विभिन्न डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म के पत्रकारों के लिए पंजीकरण की व्यवस्था की थी. 28 अगस्त 2024 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पांच अलग-अलग श्रेणियां बनाकर और उन श्रेणियों के अनुसार विज्ञापन वितरण की व्यवस्था करके राज्य में डिजिटल पत्रकारों के लिए एक डिजिटल मीडिया नीति की घोषणा की। महाराष्ट्र राज्य के डिजिटल मीडिया पत्रकारों की मांग है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तुरंत डिजिटल मीडिया नीति की घोषणा करें और इस बात का सबूत दें कि महाराष्ट्र राज्य के पत्रकार सरकार को पराये नहीं हैं !
📡 महाराष्ट्र से योगेश कल्याणकर